सोमवार, 2 सितंबर 2013

धर्मनिरपेक्षता ने ही भारत की एकता अक्षुण्ण रखीः विभूतिनारायण राय

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति तथा हिंदी के जाने-माने उपन्यासकार विभूतिनारायण राय ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता ने ही भारत की एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखा है। श्री राय आज प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में गांधी स्मृति व्याख्यान दे रहे थे। उनके व्याख्यान का विषय था-'राज्य और सांप्रदायिकता'। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान धर्मनिरपेक्ष देश नहीं था इसीलिए वह टूट गया। जिन्ना ने जब जबरन उर्दू थोपनी चाही तो बांग्लाभाषियों ने उसका प्रतिरोध कर आंदोलन किया जिसकी परिणति बांग्लादेश नामक स्वतंत्र देश के जन्म के रूप में हुई।
श्री राय ने कहा कि यदि भारत में हिंदी और देश के बीच किसी एक के चयन का प्रश्न हो तो वे हिंदी विश्वविद्यालय का कुलपति होने और हिंदी का लेखक होने के बावजूद देश का चयन करेंगे। उन्होंने वैसे यह भी कहा कि धर्मनिरपेक्षता को भारत के सर्वोच्च नेतृत्व ने तो स्वीकार किया किंतु तृणमूल स्तर के लोगों ने नहीं किया। श्री राय ने कहा कि राज्य के पोषण व प्रोत्साहन के बगैर सांप्रदायिकता नहीं फल-फूल सकती। उन्होंने कहा कि वे खुद जब भारतीय पुलिस सेवा में थे तो उन्होंने देखा कि राज्य की एक एजेंसी पुलिस की सांप्रदायिकता फैलाने में बड़ी भूमिका रही है। चूंकि पुलिस में भर्ती होनेवाले अधिकतर लोग बहुसंख्यक समुदाय से आते हैं और उनके भीतर बचपन से ही मुस्लिमों के खिलाफ विद्वेष भरा जाता है इसीलिए वे अल्पसंख्यकों के प्रति संवेदनशील नहीं रह पाते। उन्होंने भारत में अब तक हुए दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि हर जगह दंगे के शिकार अल्पसंख्यक ही रहे हैं। श्री राय ने हाशिमपुरा के अपने अनुभव को भी बांटा। उन्होंने प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों व शिक्षकों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए। कार्यक्रम का संचालन डा. वेदरमण व धन्यवाद ज्ञापन डा. तनुजा मजुमदार ने किया। अध्यक्षता प्रेसीडेंसी के राजनीति शास्त्र विभाग के अध्यक्ष डा. अनीक चटर्जी ने की। श्री राय ने प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय की कुलपति डा. मालविका सरकार के साथ बैठक भी की। इस बैठक में हिंदी विश्वविद्यालय के कोलकाता केंद्र के प्रभारी डा. कृपाशंकर चौबे भी उपस्थित थे। प्रेसीडेंसी व हिंदी विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से कतिपय परियोजनाएं चलाने का भी सिद्धांततः फैसला किया।

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