शनिवार, 16 मार्च 2013


दूर शिक्षा हो ऑनलाइन – विभूति नारायण राय

दूर शिक्षा की सामाजिक प्रासंगिकता पर राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का हुआ उदघाटन

महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि  हमारे देश के सामाजिक ढांचें में यूरोपीय देशों की तुलना में दूर शिक्षा के लिए अधिक गुजांइश है। उन्‍होंने कहा कि परंपरागत शिक्षा जैसे-जैसे महंगी होगी वैसे ही दूर शिक्षा का म‍हत्‍व बढ़ता जाएगा। हमें यह प्रयास करने की जरूरत है कि दूर शिक्षा कैसे गुणवत्‍तापूर्ण, सस्‍ती और सर्वसुलभ बनाई जा सके।
वे विश्‍वविद्यालय और भारतीय सामाजिक विज्ञान परिषद, नई दिल्‍ली के संयुक्‍त तत्‍वावधान में दूर शिक्षा की सामाजिक प्रासंगिकता विषय पर आयोजित त्रिदिवसीय राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी के उदघाटन सत्र की अध्‍यक्षता करते हुए बोल रहे थे। इस अवसर पर राजर्षि टण्‍डन मुक्‍त विश्‍वविद्यालय, इला‍हाबाद के पूर्व कुलपति प्रो.नागेश्‍वर राव, विवि के दूर शिक्षा निदेशालय के निदेशक व प्रतिकुलपति प्रो.ए.अरविंदाक्षन, डॉ.जे.पी. रा, अमरेन्‍द्र कुमार शर्मा व शंभु जोशी मंचस्‍थ थे।
श्री विभूति नारायण राय ने कहा कि हमें दूर शिक्षा के लिए तकनीक और प्रौद्योगिकी की मदद लेनी चाहिए। हमारी योजना है कि हम विद्यार्थियों को पाठ्यसामग्री प्रिंटेड बुक की बजाय ऑनलाइन उपलब्‍ध कराएं। हालांकि कुछ समस्‍याएं हैं लेकिन हमें इसके समाधान के विकल्‍पों के बारे में विचार करना चाहिए। हमारा दूर शिक्षा निदेशालय संचार एवं मीडिया अध्‍ययन केंद्र के आधुनिकतम प्रौद्योगिकी युक्‍त पराडकर मीडिया लैब व फिल्‍म अध्‍ययन विभाग से जुड़कर दूर शिक्षा के लिए अध्‍ययन सामग्री का निर्माण करे जिससे दूर-दराज के विद्यार्थी लाभान्वित हो सकें।
हबीब तनवीर सभागार में आयोजित संगोष्‍ठी में उद्घाटन वक्‍तव्‍य देते हुए  प्रो.नागेश्‍वर राव ने कहा कि दूर शिक्षा में आठ प  और चार प्रकोष्‍ठ पर विशेष ध्‍यान दिया जाना चाहिए। उन्‍होंने आठ प (प्रवेश, परामर्श, पाठ्यसामग्री, पुस्‍तकालय, परीक्षा, प्‍लेसमेंट, प्रावीण्‍यता, पूर्व छात्रों के लिए कन्‍वोकेशन) और चार प्रकोष्‍ठ (जागरूकता, चिंतन, गुणवत्‍ता व शोध) को संदर्भित करते हुए कहा कि दूरस्‍थ शिक्षा का भविष्‍य उज्‍ज्‍वल है।
शुरुआत में मंचस्‍थ अतिथियों का स्‍वागत पुष्‍पगुच्‍छ प्रदान कर किया गया। स्‍वागत वक्‍तव्‍य में प्रतिकुलपति प्रो.ए.अरविंदाक्षन ने कहा कि हमें यह प्रयास करने की जरूरत है कि दूर शिक्षा के विद्यार्थी सिर्फ डिग्री के लिए नहीं अपितु कैसे सामाजिक चुनौतियों का सामना करने में दक्ष हो सकें। कार्यक्रम का संचालन शंभु जोशी ने किया तथा डॉ.जे.पी.राय ने आभार व्‍यक्‍त किया। संगोष्‍ठी के संयोजक अमरेन्‍द्र कुमार शर्मा ने त्रिदिवसीय राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी के उद्देश्‍यों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर प्रो.सत्‍यकाम, प्रो.मनोज कुमार, प्रो.अनिल के.राय अंकि’, प्रो.वासंती रामन, प्रो.राम शरण जोशी, प्रो.देवराज, प्रो.के.के.सिंह, डॉ.खंडेलवाल सहित बड़ी संख्‍या में अध्‍यापक, कर्मी, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे।
अगले दो दिनों तक होगा विमर्श – त्रिदिवसीय राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी के दूसरे दिन 17 मार्च को 10 बजे से दूर शिक्षा: भविष्य की सम्भावनाएँ विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता प्रो.नागेश्वर राव करेंगे। मुख्य वक्तव्य प्रो.वी.के. श्रीवास्तव प्रस्तुत करेंगे। तृतीय सत्र वैकल्पिक व पूरक शिक्षा बनाम पारंपरिक शिक्षा विषय पर होगा जिसकी अध्यक्षता इग्‍नू के प्रो.सत्यकाम करेंगे। सामाजिक विज्ञान में शोध की रूपरेखा और संभावनाएँ विषय पर चतुर्थ सत्र होगा। इस सत्र में सामाजिक विज्ञान में शोध की रूपरेखा और शोध की संभावनाओं पर भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के निदेशक प्रो.के.एल.खेड़ा द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के शोध संबंधी योजनाओं व अनुदानों पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शोधार्थियों से चर्चा करेंगे। पांचवा सत्र शिक्षा का लोकतंत्र : हाशिए के समाज तक दूर शिक्षा की पहुँचविषय पर होगा। सत्र की अध्यक्षता प्रो.वी. के श्रीवास्तव करेंगे। प्रो.रामशरण जोशी मुख्य वक्तव्य देंगे। संगोष्‍ठी का समापन 18 मार्च को होगा। 

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